The wait is over , here is part 2 of my story Grihani no. 611 . What will Diya do once she knows her husband Samir is lying. Watch the video to know the full story. Script after the video. This is copyright material of Anupma Agarwal Chandra, You can quote with due credit.

So how did you like the story? final episode coming soon. Subscribe to my channel! Here is the script.

पर समीर….                              

मैंने तो तुम्हे बैंक के सामने देखा था आज , आवाज़ भी दी थी .

पागल हो गयी हो क्या? किसी और को देखा होगा , ज़रा सा भी दिमाग नहीं है तुम्हारे

लेकिन समीर तुम्हारे कंधे  पर वो हरा वाला लैपटॉप बैग भी था, मुझे मालूम है तुम ही थे

उफ़ हद्द हो गयी किस जाहिल औरत से पला पड़ा है कहकर समीर ने फ़ोन पटक दिया .

जाहिल हो सकती हूँ अंधी तो नहीं हूँ दिया बुदबुदाई

समीर से ऐसे झूठ की आशा नहीं थी उसे . साड़ी रात खिड़की से आसमान देखते हुए निकल गयी !क्या ये चाँद भी कभी एक स्त्री की तरह महसूस करता होग्सा. दूर अकेला और इंतज़ार में.

जाहिल तो वो थी ही नहीं तो अपनी पढाई लिखी अरमानो को टाक पर रख के क्यूँ घर की चाहरदीवारी में जीने तो तैयार हो जाती. बहु का कोई ओहदा नहीं ओहदा तो बहुत बड़ा शब्द है बहु और बीवी की तो जगह होती है सबके बाद सबसे नीचे .

सुबह मोहित को स्कूल बस में बिठा कर आई तो चाय में भी मनन नहीं लगा . इतने सारे सवाल आज तो जवाब चाहिए ही मुझे. किसी तरह सुबह का काम निपटाया और राशन लेने के बहाना करके अपनी सहेली नेहा के यहाँ चली गयी.

नेहा बेहद सुलझी हुई और दबंग औरत थी. जैसे ही उसने सारी बात सुनी  उसने झट से समीर के ऑफिस की लैंडलाइन पर फ़ोन कर दिया.

समीर सिंह हैं?

उधर से रिसेप्शनिस्ट की आवाज़ आई जी आप कौन ?

मैं रेखा बोल रही हूँ उनसे बिज़नस के सिलसिले में कुछ बात करनी है.

ओके इंतज़ार करिए मैं कॉल ट्रांसफर कर रही हूँ

नेहा ने फ़ोन स्पीकर पर डाल दिया . हेल्लो समीर की आवाज़ आई .

समीर बोल रहे हैं?

हाँ कहिये?

मैं रेखा दरअसल मेरी कंपनी आपकी कंपनी को एक बड़ा कॉन्ट्रैक्ट देना चाहती है . क्या मैं कल आकर आपसे मिल सकती हूँ

हाँ क्यूँ नहीं आप ११ बजे आ जाइए .

अब तो दिया से रहा नहीं गया . वो बोली आपको बुरा न लगे तो मैं दिया भी आ जाऊं ?

तुम ? हद्द हो गयी ये क्या तमाशा लगा रखा है ? समीर ने फ़ोन काट दिया.

जब तक दिया घर पहुंची समीर घर पहुँच चूका था और गुस्से में लाल हो रहा था .

तुम्हे ज़रा सी भी अकल है नहीं पढ़ी लिखी गंवार हो तुम. ऑफिस की एक मर्यादा होती है कभी ऑफिस गयी हो तो जानो . शक्की झक्की कहीं की?

दिया कुछ नहीं बोली समीर के चिल्लाने से सच नहीं बदलने वाला था.उसने जो देखा था सुना था उसके बाद समीर की किसी बात का कोई मतलब नहीं था . वो जानती थी की बात इससे कहीं गहरी थी. उसका छोटा सा समंदर किसी भी समय तूफ़ान में घिर सकता था. और अब उसे इस तूफ़ान का डर भी था और इंतज़ार भी.

बस तीन दिन लगे इस तूफ़ान को आने में.

दिया अब हम साथ नहीं रह सकते .

क्यूँ समीर मैंने तुमसे एक सवाल क्या पूछ लिया तुमने तो सारा रिश्ता ही बेमानी बना दिया.

वो क्या है न दिया , मेरी ज़िन्दगी में कोई और है ?

क्या? कब से?

दो साल से मुझे एक ट्रेनिंग प्रोग्राम के दौरान मिली थी.

किस शहर में रहती है समीर ?

यहीं ?

यहीं ? तो तुम उसके पास टूर पर जाते थे? मैं नहीं देख लेती तो क्या ज़िन्दगी भर धोखे में रखते? उफ़ हद्द हो गयी.

सुनो दिया तुम यहाँ रहती रहो . मैं शिफ्ट कर जाऊँगा , कह देंगे मेरी बदली हो गयी है दुसरे शहर में. किसी को कुछ पता नहीं चलेगा. माँ बाबूजी भी बुढापे में परेशान नहीं होंगे .मोहित के लिए भी यही ठीक रहेगा. वैसे भी तुम कहाँ जाओगी.

दिया को लगा जैसे उसके वजूद पर किसी ने थप्पड़ मार दिया हो . मैं यहाँ क्यूँ रहूंगी. मोहित और मैं इतने गए गुज़रे हैं की इस झूठ का हिस्सा बने ? खर्चा देकर कोई एहसान करोगे क्या? बाप की जगह चाहिए तो कुछ तो करना ही पड़ेगा . और रही मेरी बात मेरी , मैं तो कुछ कर ही लुंगी मेरी तरफ टुकड़े फेंकने की कोई ज़रुरत नहीं है. दिया फट पड़ी , भाड में जाओ झूठे दगाबाज़.

शोर सुनकर माँ बाबूजी आ गए .. क्या हुआ बहु ये क्या तरीका है बात करने का / बाबूजी गुस्से में बोले.

समीर तुम बताओगे या मैं बोलूं? दिया ने पुछा

प्लीज दिया बवाल मत करो. बाबूजी कुछ नहीं हुआ .

कुछ नहीं हुआ समीर? बाबूजी इनको कोई और लड़की पसंद है और ये उसी के साथ रहेंगे . ये इनका फैसला है और मैं और मोहित यहाँ नहीं रहेंगे ये मेरा फैसला है. बस.

कहकर दिया कमरे से बहार चली गयी. दिमाग में एक चरावत सा चल रहा था. अब क्या होगा? पर कहीं कुछ गर्व भी था की आज भी आत्मा सम्मान बाकी है मुझमे .

दिया ने आँखें बंद कर ली. क्या चाहती थी ज़िन्दगी?

उसे नष्ट करना या कुछ और? दरअसल जिस पल में आपको नेस्तनाबूद करने की ताकत  होती है उसी पल में आपको नया रूप नयी ज़िन्दगी देने की काबिलियत भी होती है. दिया के लिए ये पल क्या करने वाला था? आज दिया को पता नहीं ठस पर ये ज़रूर पता था की अब से आज और कल एक से नहीं रहेंगे. कभी नहीं.

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