प्रेम कहानी में एक लड़का होता है
लेखिका अनुपमा अग्रवाल चंद्रा
सुन न पल्लवी चलते हैं बड़ा मज़ा आएगा. शिवानी जिद करते हुए बोली. मेरा भाई भी तो होगा वहां फिर आर्मी क्लब में पार्टी है डरने वाली क्या बात है. तू पूछ कर तो देख माँ बाबूजी इजाज़त दे देंगे .
फिर कब ऐसा मौका मिलेगा पल्लवी?
नहीं शिवी मैंने सुना है ऐसी पार्टियों में लोग शराब पीते हैं मुझे नहीं जाना.
उफ़ पल्लवी कितनी दकियानूस है तू कभी कभी लगता है जैसे हड्डपा की खुदाई में निकली होगी. कोई पिए तो पिए हमें क्या. हम नहीं पीयेंगे.
शिवी ने फिर जोर दिया.
पर शिवी वहां तो बड़े बने ठणे फैशन वाले लोग आयेंगे और मैं तो तुझे पता है ये सब पसंद नहीं करती. मेरा वहां क्या मेल?
शिवानी ने एक नज़र पल्लवी पे डाली , पूरे रानीखेत में शायद ऐसी सुंदरी न होगी. दिलकश चेहरा, तीखे नैन नक्श , बड़ी बड़ी बादामी आँखें , लम्बे बाल उस पर बला का भोलापन. एक नज़र देख लो तो आँखों में ठंडक पड़ जाए.
क्या सचमुच पल्लवी अपने रूप से अनजान है? हर समय बालों का ढीला ढला जूडा बनाकर किताबों में घुसी रहती है. कोई कितना भी बन ठन कर आ जाए पल्लवी को दिया नहीं दिखा सकता.
देख पल्लवी तू नहीं जायेगी तो मैं भी नहीं जाउंगी! बस !
शिवी तू भी बस , अच्छा मैं घर में पूछती हूँ.
इज़ाज़त मिल गयी और दोनों सहेलियां लग पड़ी तय्यारी में. पल्लवी कुछ सादा ही पहन कर जाना चाहती थी जबकि शिवी कुछ आधुनिक पहनना चाहती थी.
काफी जद्दोजेहद के बाद ये तय हुआ की पल्लवी सारीपहनेगी और शिवी शरारा.
पार्टी वाले दिन दोनों शिवी के भाई अमित के साथ जो की खुद भी फौज में था आर्मी क्लब पहुँच गयीं. बड़ी शानदार पार्टी थी. बड़े से लॉन में जबरदस्त इंतज़ाम था. एक खूबसूरत सा डांस फ्लोर भी बना हुआ था. संगीत शुरू हुआ और कुछ जोड़े साथ में डांस भी कर रहे थे.
पार्टी में ज्यादातर लोग पल्लवी और शिवी की उम्र के ही थे. आर्मी और एयर फॉर्स नेवी के नवयुवक अफसर भी थे.
मौसम सुहाना था और पल्लवी को भी पार्टी में मज़ा आ रहा था. उसने इधर उधर हो रही सजावट को देखा , ऊँचे ऊँचे पेड़ो पर भी लाइट लगी हुई थी, पीछे पहाड़ नज़र आ रहे थे और आसमान में तारे.
अचानक उसकी नज़र एक नवयुवक पर पड़ी , वो लगातार उसे देख रहा था. पल्लवी ने कुछ झेंप कर अपनी नज़र घुमा ली और शिवी तो तलाशने लगी. शिवी अपने भाई और उसके कुछ मित्रों के साथ खड़ी थी. पल्लवी तेज़ तेज़ चतले हुए वहां पहुँच गयी. उसे पहुंचे अभी दो मिनट ही हुए थे की किसी ने पीछे से आकर पुछा, क्या मैं आपके साथ डांस कर सकता हूँ?
नहीं नहीं मुझे डांस नहीं आता , पल्लवी ने घबराकर जवाब दिया
अरे कोई कम्पटीशन में हिस्सा थोड़ी लेना है , थोडा डांस तो सब कर लेते हैं, वो शख्स बोला
अरे ये करन है पल्लवी हमारा बेहद काबिल अफसर , कर लो इसके साथ डांस , शिवानी का भाई अमित बोला.
पल्लवी ने करन की तरफ देखा , वो उसे ही देख कर मुस्कुरा रहा था जैसे उसे जानता हो , अपने आप को समझता क्या है ?
कह दिया न नहीं करना डांस.
ठीक है जैसी आपकी मर्ज़ी . कहकर करन दूसरी तरफ चला गया.
पल्लवी ने चैन की सांस ली , डिनर का समय हो गया था और खाने के साथ गप शप भी चल रही थी. इतने में करन भी आकर उन्ही लोगों की मेज़ पर बैठ गया.
क्या मैं आप लोगों के साथ बैठ सकता हूँ?
करन तुम पहले ही बैठ चुके हो अमित हंस के बोला!
सब ठहाके लगा कर हँसे लगे.
पल्लवी चुप बैठी सोच रही थी इससे यही टेबल मिली थी. करन बड़ा अजीब लगा उसे. आँखों पर सुन्हेरी तनी का चश्मा , हाथ में चमचमाती सुन्हेरी घडी, जोर जोर से हँसना , तेज़ आवाज़ में दूर खड़े लोगों को आवाज़ देकर हेल्लो करना इस इंसान के तो किसी भी काम में कोई सादगी थी ही नहीं. शक्ल सूरत बुरी नहीं थी अगर थोडा शांत होता तो ठीक ही दीखता शायद.
पता नहीं कब तक इसके फ़ालतू चुटकुले झेलने पड़ेंगे. अचानक अमित बोला करन एयर फ़ोर्स का बेहद दिलेर फाइटर पायलट है. एक बार तो इसने हद्द कर दी . एयर शो में प्लेन को २ मिनट तक उल्टा उड़ाया . करन बता न क्या हुआ था.
हाँ हाँ क्यूँ नहीं ? ज़रूर बताऊंगा , इतनी सारी हसींन लड़कियों को इम्प्रेस करने का मौका बार बार कहाँ मिलता है. करन बोला
उफ़ इसकी बक बक कम थी क्या जो अब इसकी बहादुरी के किस्से भी सुनने पड़ेंगे, पल्लवी ने मन ही मन सोचा.
खैर पार्टी चलती रही , करन के ठहाके गूंजते रहे और उसके किस्से भी.
पार्टी के बाद जब पल्लवी और शिवी अमित की कार में वापस लौटने लगे तो रास्ते में शिवी बोली करन कितना जिंदादिल है मज़ा आ गया,
क्या खाक मज़ा आ गया , मैंने ने इतना मगरूर इंसान आज तक नहीं देखा! पल्लवी उखड के बोली.
नहीं पल्लवी वो सच मुच अच्चा इंसान है ! अमित ने कहा.
पल्लवी घर पहुँच कर भी भिनभिनाती रही , सारी पार्टी अच्छी थी बस सिवाय करन के. उसने अपने माँ पिताजी और बहिन भाई को बताया.
जो भी हो मुझे क्या.
अगले दिन सुबह सुबह घंटी बजी ठीक ६ बजे. इस समय कौन आ गया पल्लवी की माँ बद्बदाती हुई दरवाज़ा खोलने उठी.
दरवाज़े के बाहर एक अर्दली सा लगने वाला व्यक्ति खड़ा था.
जी ये पल्लवी जी का घर है?
हाँ आप कौन?
जी उन्हें ये दे दीजिए करन सर ने भेजा है , कहकर उसने एक खूबसूरत सा गुलाब का फूल आगे कर दिया.
माँ एकदम सकते में आ गयी , ये क्या पागलपन है ?
पर वो अर्दली गुलाब खिड़की की किनारी पर रख कर चला गया.
कौन है माँ ? पल्लवी ने पुछा
ये देखो उस पागल करन ने तुम्हे गुलाब भेजा है.
ऐसे कैसे भेज दिया माँ ? कहकर पल्लवी ने गुलाब को फेंकेने के लिए उठा लिया. उसमे एक ख़त भी था. उसने ख़त खोल लिया सिर्फ चार शब्द लिखे थे ,
आपको करन का सलाम.
क्या वाहियात आदमी है उफ़ पल्लवी गुस्से से अपने कमरे में भाग गयी.
कोई जवाब नहीं दूंगी अपने आप ठीक हो जाएगा!
अगले दिन फिर वो फूल आ गया , और फिर अगले दिन भी
इसी तरह जब एक हफ्ते तक फूल आते रहे तो उसने शिवी के भाई को बताया और कहा आप करन को ये सब बंद करने को कहो..
अमित बोला पल्लवी करन बहुत अच्चा इंसान है कोई भी निर्णय लेने से पहले उसे थोडा जान लो. उसके पिताजी भी फ़ौज में हैं और आजकल रानीखेत में ही पोस्टेड हैं. छोटा भाई भी फ़ौज में है. सोच लो फिर भी अगर कहोगी तो मैं मना कर दूंगा.
पल्लवी घर आ गयी और फूल आने का सिलसिला जारी रहा. ३७ वे दिन फूल के साथ फिर एक ख़त आया
हुज़ूरे वाला हम रानीखेत में हैं , क्या आपसे मिलने की गुस्ताखी कर सकते हैं?
क्या आदमी है ये! बिलकुल मना कर दूँगी , इसकी हिम्मत तो देखो . बदतमीज़! पल्लवी एकदम आगबबुला हो गयी.
क्या हो गया ? इतना क्यूँ बिगड़ रही है ? माँ ने पल्लवी का तमतमाया चेहरा देख कर पूछा
उफ़ माँ इस करन की हरकत तो देखो. मिलने को कह रहा है. मैं क्या पागल हूँ जो मिलने जाउंगी ?
देख पल्लवी गुस्सा करने से कुछ नहीं होगा. मैं तो कहती हूँ तू और शिवी जा कर उससे मिलो और साफ़ साफ़ मन कर दो . नहीं तो बात ख़तम नहीं होगी.
देखूंगी ! कहकर पल्लवी अपने कमरे में चली गयी.
कमरे में पल्लवी बहुत देर सोचती रही की उसे क्या करना चाहिए? फिर ल्स्गा मान ठीक ही कह रही है. शिवी के साथ जा कर इस रोमियो को समझा देती हूँ कि मुझे इसमें कोई दिलचस्पी नहीं है. बल्कि मुझे किसी लड़के में कोई दिलचस्पी नहीं है. मुझे अपना करियर बनाना है रोमांस में ज़िन्दगी बर्बाद नहीं करनी है.
आज शाम ही शिवी के साथ जाती हूँ. मजनू का मिजाज़ जानने.
शिवी ने ही करन से बात की और दोनों सहेलियां शाम को करन से मिलने एक कैफ़े में पहुँच गयीं.
पल्लवी ने एक बहुत ही सादा सा सूट पहना वो नहीं चाहती थी की करन को कोई भी ऐसी ग़लतफहमी हो की वो सज संवर के आई है.
करन पहले से ही कैफ़े में इंतज़ार कर रहा था.
बड़े सलीके से उसने दोनों लड़कियों का स्वागत किया और तीनो गार्डन में एक टेबल पर बैठ गए.
बस थोड़ी देर में ही इसको कह दूँगी की नमस्कार मेरा पीछा छोड़ो.
बातें शुरू हो गयीं , करन के पास हर विषय पर कहने के लिए कुछ था. उसका बात करने का अंदाज़ भी बड़ा बढ़िया था. उससे हिंदी साहित्य में बड़ी दिलचस्पी थी.
पल्लवी को भी हिंदी किताबे पढना बहुत पसंद था. पल्लवी थोड़ी हैरान थी , करन को देख कर ये नहीं लगता था की वो कुछ ख़ास पढता होगा. बड़ा दिलफेंक सा लगता था.
बात ग़ज़लों और शेरो पर आ गयी , करन को उर्दू की समझ भी बहुत थी , कितनी ही देर निदा फाजली और मुनीर नियाजी की बातें होती रहीं.
जब करन को पता चला की पल्लवी MBA करना चाहती है तो उसने पूरी लिस्ट बना कर दी की कौन सी किताबें अच्छी रहेंगी , वो खुद भी लॉन्ग डिस्टेंस MBA कर रहा था आईआईएम से .
करन के बारे पल्लवी के राय अब कुछ बदलने लगी थी. उतना हल्का बंदा नहीं था जितना वो सोच रही थी. काफी पढ़ा लिखा और सोच विचार करने वाला इंसान था.
पिछले डेढ़ घंटे में उसके पल्लवी से एक भी ऐसी बात नहीं की थी जो उसको बुरी लगे.
देखो करन तुम एक अच्छे इंसान हो पर मुझे अभी किसी प्रेम प्रसंग में नहीं पड़ना है . मैं एक छोटे शहर की सीढ़ी साधी लड़की हूँ, कुछ बनाना चाहती हूँ और अपने फोकस वहीँ रखना चाहती हूँ. इसलिए मुझे कोई उम्मीद मत रखो.
पल्लवी ने अपनी बात रखी.
ठीक है पल्लवी अगर मैं तुमसे कोई उम्मीद न रखूं तो हम एक दुसरे से मेलजोल रख सकता हैं क्या? यकीन मानो मुझे तुमसे कोई अपेक्षा नहीं होगी.
पल्लवी को इसमें कोई हर्ज़ नहीं नज़र आया और उसने कहा ठीक है. पर अब फूल मत भेजना.
हो हुकुम पल्लवी जी कह कर करन हंस दिया. अच्छा कल पिकनिक को चलें इतना अच्छा मौसम है और छुट्टी भी . मैं अमित को भी बुला लूँगा.
हाँ करन भईया चलते हैं , क्यूँ पल्लवी ?
ठीक है सब चलेंगे तो मैं भी चलूंगी कुछ बना भी लाऊंगी.
पिकनिक पर तो बहुत ही मज़ा आया. करन और अमित दोनों ही बहुत खूब गाते थे, और दोनों ने समा बाँध दिया.
पल्लवी को याद नहीं था की वो इतना पहला कब हंसी थी.
अच्चा पल्लवी मैं तुम्हे नोट्स भेजूंगा MBA के लिए प्रिपरेशन में काम आयेंगे.
अगली बार आऊंगा फिर मिलेंगे.
ठीक है करन , थैंक यू .
हर हफ्ते बड़े करीने से नोट्स आने लगे और वाकई में वो बड़े काम के थे. पल्लवी को बड़ी मदद मिलती . हर बार जब नोट्स आते उनके साथ होटी एक छोटी सी चिठ्ठी जिसमे पल्लवी का हौसला बढ़ने वाली बातें लिखी होती.
इस हफ्ते की चिठ्ठी पढ़ कर पल्लवी बेहद भाव विभोर हो गयी.
उसमे लिखा था .
प्रिय पल्लवी जी
मुझे लगता है आप बहुत काबिल हैं और कुछ भी कर सकती हैं बस आप अपने आपको कुछ कम आंकती हैं . मुझे लगता है हमारे यहाँ लड़कियों को ये सिखाया जाता है की हर वक़्त apologetic रहो पर मुझे लगता है क्यूँ? हर बात में guilt क्यूँ पालो? अगर आप इंटेलीजेंट हैं तो एक्सेप्ट करो , explanation मत दो.
मैंने आज तक आपके जैसा focused इंसान नहीं देखा . आप जो भी टेस्ट्स करके भेजती हैं उसमे कोई गलती निकाल ही नहीं सकता. पिछली बार आपने लिखा की आप top institutes में नहीं try करेंगी क्यूंकि आपको लगता है की आपकी पर्सनालिटी और कॉन्फिडेंस लेवल ऐसी जगहों के इंटरव्यू के लायक नहीं है. मुझे इस बात पर एतराज़ है . आप ऐसे मैदान छोड़ने के बजाय अपने कॉन्फिडेंस पर काम क्यूँ नहीं करती ? थोडा अपने हिसाब से क्यूँ नहीं जीतीं?
आप अपने पहनावे में में और सोच में सिर्फ समाज के हिसाब से चलती हैं. आप average होने के लिया पैदा नहीं हुई हैं ये मुझे पता है.
आपने ने एक बार कहा था कि जब आप कहीं MBA करने लगेगी तो जीन्स पहनेगी. अभी क्यूँ नहीं? क्या रोकता है आपको ? दिल तो कर रहा था एक जीन्स भेज दूँ पर आपके गुस्से से डर लगता है.
कुछ नियमो को तोडिये अपने मन का करिए इससे कॉन्फिडेंस बढेगा. आप आगे बढ़ेगी तो मुझे बहुत अच्छा लगेगा! मेरा सपोर्ट हमेशा आप के साथ है. औरतों जैसी शक्ति आदमियों में हो ही नहीं सकती. तो top institutes की तरफ देखिये , वो आपका इंतज़ार कर रहे हैं.
टेस्ट पूरे करके भेज्येगा
करन.
पल्लवी ने दस दफा इस चिठ्ठी को पढ़ा , क्या सचमुच वो IIM के बारे में सोच सकती है? शायद हाँ! हाँ यहीं रानीखेत में जीन्स पहनूंगी , क्यूँ नहीं?
पल्लवी अपने खुद में आये बदलाव पर हैरान भी थी और खुश भी. थैंक यू करन.
अबकी बार करन आयेगा तो वो जीन्स पहन कर ही मिलेगी.
कब आएगा करन?
आज की रात पल्लवी को नींद नहीं आई. दिमाग में वो चिठ्ठी घूमती रही , रह रह कर करन का चेहरा आँखों के आगे आता रहा. क्या चाहता है करन? क्या कोई बिना वजह भी ऐसा कह सकता है ? न जाने क्यूँ करन के ख्याल से उसे ख़ुशी हो रही थी . ऐसा तो उसके साथ कभी नहीं हुआ. लड़कों से वो हमेशा दूर ही रही . अभी भी दूर ही रहना चाहती थी पर करन जहन से निकल नहीं रहा था. कई बार जब सब कुछ बहुत अच्चा होता है तब भी हम यकीन नहीं कर पाते. लगता है कुछ तो गलत है जो नज़र नहीं आ रहा , अगल बगल सब लोग यही तो कहते हैं . लड़कों पर भरोसा मत करो. पर करन ऐसा नहीं था उसने तो कभी कोई गलत बात नहीं की. दिल और दिमाग में जबरदस्त कशमकश चल रही थी, किस की बात सुनी जाए . करन को तो कितनी ही लड़कियां मिल सकती है फिर वो मेरे में क्यूँ दिलचस्पी ले रहा था कुछ भी तो ख़ास नहीं मुझमे ! बस एक छोटे शहर की पहाड़ी लड़की तो हूँ. पर जो भी करन में बहुत कुछ ख़ास है , उसके विचार पल्लवी को बहुत पसंद आने लगे थे. हर बात का पॉजिटिव पहलु देखना , कभी हार नहीं मानना और ज़िन्दगी जीने का वो जज्बा की जैसे हर पल को निचोड़ लो . करन की बातों से लगता की वो खुद भी जो चाहे कर सकती है. एक बार करन ने कहा था की कभी कभी फ़ोन पर बात कर सकते हैं क्या? पल्लवी बात को ताल गयी थी पर आज उसका मन कर रहा था की फ़ोन पर बात की जाए . ये क्या हो गया था उसे? क्या वो करन को पसंद करने लगी थी? नहीं नहीं करन को सिर्फ वो एक अच्चा दोस्त मानती थी बस. इसी उहा पोह में सुबह हो गयी , कॉलेज जाना था पर पल्लवी ने जल्दी से करन तो एक ख़त लिखा सोचा रास्ते में डाल दूंगी .
हेल्लो करन
तुम्हारा ख़त पढ़ा बहुत अच्चा लगा , कब आ रहे हो ? बहुत से doubts हैं एग्जाम को लेकर . आओगे तो डिस्कस करेंगे. वैसे फ़ोन पर भी डिस्कस कर सकते हैं मेरे घर का number है ४२८६७१ , हमारे यहाँ एसटीडी नहीं है तो तुम ही कॉल कर लेना रात ८ बजे से पहले किसी भी दिन. अपना number भी भेज देना .
मिलते हैं
पल्लवी
जल्दी से ख़त लिफाफे में डाल कर वो तैयार होने लगी.
बावली को पता ही चला की उसने करन को आप की जगह तुम लिख दिया है!
पल्लवी को क्या पता की जब उसका ख़त करन को मिला था तो उसे पल्लवी का तुम कहना बेहद हसीं लगा था और उसने ख़त को चूम कर कहा था मोहतरमा शादी तो आपसे ही होगी!
फ़ोन आने लगे और बातों का सिलसिला शुरू हो गया. धीरे धीरे पल्लवी को पता चला की करन का काम कितना कठिन है. हर समय तय्यारी में रहना पड़ता है , रोज़ की प्रैक्टिस और कई बार बॉर्डर पर दिनों के लिया जाना और अपने घर में भी किसी से बात नहीं कर पाना. पर जब भी बात होती करन की आवाज़ हंसी से खनक रही होती जैसे की वो दुनिया का सबसे मजेदार काम कर रहा हो. एग्जाम की बातें होती , कुछ बनने की बातें होतीं और कुछ समय बात सपनो की बातें होनी लगी खासकर पल्लवी ज़िन्दगी में क्या करना चाहती थी.
अच्चा मेमसाहब हम २ हफ्ते बाद रानीखेत आ रहे हैं कुछ समय मांग सकते है क्या?
उफ़ करन तुम कैसे बोलते हो ? मेमसाहब ?
छुट्टी है क्या ?
हैं नहीं साहिबा हमने ली है एक ख़ास मौका है .
ठीक है करन मिलते हैं.
शाम को पल्लवी शिवी के यहाँ पहुँच गयी , सुन शिवि मार्किट चल एक जीन्स और टी शर्ट लेनी है.
तू जीन्स पहनेगी? सच ? शिवी उचल के बोली.
क्यूँ नहीं पहन सकती क्या?
जरुर पहन सकती है चल चलते हैं
पल्लवी ने एक जीन्स पसंद की और एक ढीला सा top .
शिवी बोली ये top तो बिलकुल बेकार है कुछ फिटिंग वाला ले .
लेकिन शिवी मैं फिटिंग वाला नहीं पहन पाऊँगी
उफ़ यार तू भी!! अच्चा एक सफ़ेद टी शर्ट ले ले कमाल लगेगी
टी शर्ट और जीन्स ले कर दोनों शिवी के घर आ गयीं.
अरे पल्लवी अब बता न कब पहनने वाली है तू जीन्स टी शर्ट?
किसी दिन कॉलेज में पहनूंगी शिवी और क्या
पर मुझे ऐसा क्यूँ लग रहा है पल्लवी की तू झूठ बोल रही है बात क्या है ?
कुछ नहीं शिवी चल अब मैं जाती हूँ कहकर पल्लवी चली गयी,इस लड़की को हुआ क्या है? वरना पल्लवी और जीन्स? कुछ तो बात है? बच्चू कब तक छुपाएगी?
करन के आने का दिन भी आ गया . पल्लवी की आँख सुबह ही खुल गयी थी , जी तो कर रहा की जल्दी से जा कर मिले पर जब तक करन न कहे वो कैसे जाए.
सुबह से शाम हो गयी पर करन का कोई सन्देश नहीं आया. सब ठीक है की नहीं , करन आया भी है या नहीं . पता नहीं क्यूँ ४ बजते बजते पल्लवी को चिंता होने लगी थी. थोड़ी देर बाद शिवी के घर जाउंगी उसे कुछ न कुछ खबर जरुर होगी.
तभी घंटी बजी और दरवाज़े पर थी शिवी , करन भईया आये हैं चल मिलने बुलाया है.
ऐसे कैसे शिवी अचानक ? मैं तो तैयार भी नहीं हूँ पल्लवी कुछ नाराज़गी से बोली.
तो तैयार हो जा पल्लवी , मैं रूकती हूँ.
पल्लवी जीन्स टी शर्ट पहन कर निकली तो शिवी देखती ही रह गयी. आज तो थोड़ी लिपस्टिक भी लगी थी.
वाह पल्लवी ये चमत्कार कैसे , करन भईया के लिए ?
पागल मत बन शिवी इंटरव्यू में कैसे जाना की तय्यारी है. अब चल
आज काफी हाउस में मिलने का प्लान था. वहां करन के साथ अमित भी आया हुआ था. बस अभी बैठे ही थे की अमित ने शिवी से कहा चल सब्जी खरीद लाते हैं माँ ने कहा है . दोनों भाई बहिन चले गए.
और कैसी हो पल्लवी ? कैसी चल रही है तय्यारी. तुम्हे जीन्स में देख कर अच्छा लगा .
मैं ठीक हूँ करन तुम कैसे हो ? कब पहुंचे ? ठीक दिख रही हूँ न!
बेहद खूबसूरत लग रही हो!! वैसे पहुँच तो सुबह ही गया था बस कुछ जरुरी काम में लग गया था.
पल्लवी को न जाने क्यूँ ये बात कुछ बुरी लगी पर वो कुछ बोली नहीं .
अरे पल्लवी एक मिनट मैं कार में कुछ भूल गया हूँ अभी आता हूँ. जब करन लौटा तो उसके हाथ में एक बड़ा सा पैकेट था ,
पल्लवी आने वाले जन्मदिन की शुभकामनाएं कहकर उसने पैकेट आगे बढ़ा दिया
थैंक यू करन पर तुम्हे कैसे पता चला ?
अरे मेमसाहब जी जब ठान लेते हैं तो जान लेते है ! और अबकी बार आपका जन्मदिन मन कर ही जायेंगे!
५ दिन के बाद पल्लवी का जन्मदिन था. वाह करन रुकेगा पल्लवी ने मन ही मन सोचा .
अब खोलो न पैकेट करन के आवाज़ में बेताबी थी
पल्लवी ने धीरे धीरे टेप हटाने शुरू किये
अरे मोहतरमा ये क्या अंदाज़ हुआ गिफ्ट खोलने का पेपर फाड़ के निकालिए तो मज़ा आये.
पर करन ऐसे तो बच्चे करते हैं! पेपर फिर काम आ जायेगा !
तो तुम कौन सी दादी हो गयी हो चलो जल्दी फाड़ो, चार दिन की ज़िन्दगी क्या क्या बचा कर रखोगी!
पल्लवी हंस पड़ी , जल्दी से गिफ्ट खोला तो उसमे थी रानी रंग की एक बेहद ख़ूबसूरत सारी , चुडीया , एक पर्स , MBA की तय्यारी के ढेर सारे नोट्स और बहुत सारी चाकलेट .
इतना कुछ करन ! बहुत सुन्दर है
अच्चा सुनो मैंने एक ब्लाउज का डिजाईन देखा है एक पिक्चर में वैसा ब्लाउज ही बनवाना तुम ये देखो पोस्टर लाया हूँ.
इवनिंग इन पेरिस पिक्चर का पोस्टर था , शर्मीला टैगोर ने बिना बाजू का ब्लाउज पहना हुआ था और पीछे थी एक बड़ी सी बो.
पागल हो गए हो क्या करन ऐसा ब्लाउज मैं पह्नुगी , सवाल ही नहीं उठता. तुम्हे भी अजीब अजीब शौक हैं करन
क्यूँ क्या बुराई है इसमें पल्लवी ?
बिना बाजू का और लोग क्या कहेंगे?
लोगों की छोड़ो ये बताओ है कैसा?
शर्मीला टैगोर के लिए ठीक है पर मेरे लिए नहीं , कहाँ जाउंगी मैं ये पहन कर?
ये बड़ा अच्चा सवाल किया तुमने पल्लवी, परसों आपकी शान में एक छोटी सी पार्टी रखी है क्लब में , कुछ दोस्त , मेरा भाई शिवी और अमित बस. उसी में पहनना . और खुद के लिए पहनना. जब आप खुद कोई कपडा शौक से शान से पहनते हो तो लोगों को भी अच्चा ही लगता है. खुश हो कर पहनोगी तो कोई कुछ नहीं कहेगा. भँवर से लड़ो तुंद लहरों से उलझो कहाँ तक चलोगे किनारे किनारे
पल्लवी ने करन की तरफ देखा . हमेशा की तरह हर चीज़ कुछ ख़ास. और आज तो गुलाबी रंग की शर्ट पहनी हुई थी. लड़के और गुलाबी रंग? पर करन पर ठीक ही लग रही थी.
पार्टी मेरे लिए? पल्लवी बोली
हाँ बिलकुल
पर परसों तक कौन बनाएगा इस ब्लाउज को ? कुछ और पहन लुंगी
मुझे पता था यही बहाना होगा , टेलर भी तय कर लिया है अभी जा कर नाप देंगे और कल शाम ब्लाउज तैयार. अब बोलो
कौन सा टेलर करन इकबाल ? वो तो कभी जल्दी देने को नहीं मानता !
बस मान गया है समझी !
पर करन ये सब क्यूँ , मैंने तुम्हे पहले भी कहा था……..
हाँ हाँ पता है तुमसे कोई उम्मीद नहीं रखनी है. नहीं है उम्मीद पर इरादा है.
क्या ?
तुमसे शादी का?
क्या?
हाँ पर उम्मीद नहीं है आपकी न सर आँखों पर, तुम जिस रूप में भी मेरी ज़िन्दगी में रहना चाहो मंज़ूर है! बस सुकून है की तुम हो !
अच्चा जी
हाँ जी
तो हमें भी मंज़ूर है . क्या मंज़ूर है ? आपका इरादा करन.
क्या सच पल्लवी?
हाँ तुम्हारा पागलपन अच्चा लग रहा है और गुलाबी शर्ट भी!! पल्लवी बोली
पर मुझे पता नहीं माँ बाबूजी क्या कहेंगे और उनकी राजा के बिना तो मैं शादी नहीं करुँगी.
ओह पल्लवी मुझे यकीन नहीं हो रहा जल्दी से चिकोटी काटो !!
और पल्लवी शादी तुम्हारे MBA होने के बाद और सब के आशीर्वाद से !!
अब जल्दी चलो पहाड़ी वाली देवी माँ मंदिर जाते हैं. आज के दिन तो जन्नत नसीब हो गयी.
मंदिर पहुँच कर दोनों ने आशीर्वाद लिया और फिर करन पहाड़ी के ऊपर खड़े होकर जोर से चिल्लाया शुक्रिया भगवन जी मुझे मेरी किस्मत और मंजिल दोनों मिल गयी!!! इ लव यू पल्लवी
क्या करन इतना शोर मचाना जरुरी है?
पल्लवी एक बार जोर से करन बोलो न प्लीज
पल्लवी न नहीं कर सकी और बहुत देर तक करन का नाम वादियों में गूंजता रहा.
पार्टी वाले दिन पल्लवी ने सारीब्लाउज पहना तो पहली बार खुद को भी वो बहुत खूबसूरत लगी. शिवी और अमित के साथ क्लब पहुँच गयी. करन बहार ही इंतज़ार कर रहा था, अरे पल्लवी सारी का पल्ला छोड़ो न , पल्लवी ने पीछे ब्लाउज का डिजाईन छुपाने के लिया पल्ला डाल लिया था . जो भी पहनो शान से पहनो जानेमन्न . वैसे भी खवाब लग रही कौन मानेगा की हक़ुईक़त हो ?
उफ़ तुम भी करन
वैसे हरी जैकेट में करन भी काफी हन्द्सोमे लग रहा था उसमे सोचा.
अरे देवी जी अगर हम अच्छे लग रहे हैं तो कह दो न? हम भी खुश हो जायेंगे !
पल्लवी हंस पड़ी हाँ अच्चा लग रहे हो !
इतना ठंडी तारीफ ? हम्म
अन्दर हॉल में १० १२ लोगों की पार्टी थी. वायलिन पर पुराने गाने चल रहे थे और एक खूबसूरत सा केक उसका इंतज़ार कर रहा था.
करन के सारे दोस्तों को पल्लवी के बारे में पता था और खूब हंसी मज़ाक चल रहा था. करन का भाई यश करन से कुछ संजीदा था पर पल्लवी को उसने इतना अपनापन दिया की पल्लवी को लगा वो इसे सदियों से जानती है
आज तो डांस कर लो मेरे साथ करन बोला . दोनों ने डांस किया फिर केक कटा और बातों बातों में देर रात हो गयी.
करन बहुत रात हो गयी है अब मुझे चलना चाहिए.
चलो मैं छोड़ देता हूँ करन बोला
रास्ते में पल्लवी बोली बड़ा मज़ा आया पर करन अब क्या होगा. मेरे घर में तो तुम्हारे पंजाबी होने से प्रॉब्लम हो जाएगी.
सुनो जानेमन तुम मत सोचो ये सब, मैं सबको मना लूँगा. अभी सिर्फ पढाई और ख़त और फ़ोन क्यूँ? इसका भी तो मज़ा लीजिये हुज़ूर. और वो इश्क भी क्या इश्क जिसमे लड़ना न पड़े जिसमे सब आसानी मान जाएँ ? मज़ा तो इश्क के इम्तिहान में है!! साहिल के सुकूँ से किसे इंकार है लेकिन
तूफ़ान से लड़ने में मज़ा और ही कुछ है
फौजी हैं हुजुर कर के दिखा देंगे!
तुम बिलकुल परेशां मत होना, करन, पल्लवी की आँखों में देख कर बोला.
क्या करन कहाँ से लाते हो ये अंदाज़ और कॉन्फिडेंस?
तुम से पल्लवी !!
लो घर आ गया पल्लवी बोली. मैं चलती हूँ कल मिलते हैं!
ऐसे नहीं पल्लवी मैं अन्दर तक छोदूंगा.
पर बाबूजी ? इस समय दरवाज़ा वही खोलेंगे .
कोई बात नहीं अपनी जान तो उसके बाबूजी के हवाले करके ही जाऊंगा.
बेल बजायी और बाबूजी ने दरवाज़ा खोला.
बाबा ये करन है.
अच्चा तुम अन्दर जाओ . पल्लवी बाय करके चली गयी.
करन तुम कुछ लोगे चाय?
नहीं सर मैं सिर्फ पल्लवी को छोड़ने आया था , आस पड़ोस में ये न लगे वो चुपचाप किसी गाडी में आई है. अब चलूँगा
ठीक है
नमस्ते सर
नमस्ते
पल्लवी के बाबूजी ने दरवाज़ा बंद कर लिया , पीछे माँ खड़ी थी.
बहार की लाइट बुझा दो उषा ,
लड़का समझदार है पर पंजाबी है, समझती हो न इसका मतलब………
हाँ खूब समझती हूँ , चाहे बात कितनी भी पुरानी क्यूँ न हो गयी हो फिर भी हमारे हाथ तो बंधे ही हुए हैं. दूसरी जात बिरादरी के बारे में तो सोच भी नहीं सकते. पल्लवी की माँ ने जवाब दिया.
हाँ वही तो उषा , जो हम कर चुके हैं उसके बाद किस मुह से कहेंगे ही कि अब अपनी बिटिया ही एक पंजाबी लड़के को पसंद करने लगी है.
आप कहें तो मैं पल्लवी तो रोकूँ करन से मिलने जुलने से?
नहीं उषा इस उम्र में रोक टोक से बात सिर्फ बढ़ेगी , मुझे अपनी पल्लवी पर पूरा भरोसा है की वो हमारी मर्ज़ी के खिलाफ नहीं जायेगी.
वैसे भी वोह कुछ बनाना चाहती है और हम भी यही चाहते हैं. तुम सिर्फ उसे पढाई की तरफ उत्साहित करो उषा. उम्र का जोश है पता नहीं रिश्ता कितने दिन चलेगा. करन के पिता तो यहाँ पोस्टिंग पर ही हैं एक बार ताबदला हुआ तो करन का रानीखेत में आना जाना भी कम हो जाएगा. MBA में सिलेक्शन होने के बाद तो पल्लवी भी कहीं पढने चली जायेगी. फिर की फिर देखेंगे.
हाँ जी यही ठीक है. बस आये दिन रिश्तेदार जो शादी के प्रस्ताव भेजते रहते हैं उसी से परेशानी है कब तक लोगों को मना करें. फिर पल्लवी का रूप देख कर सब चाहते है की वो उनके घर की बहु बने.
पल्लवी के माता पिता ने बचपन से ही पल्लवी का ध्यान उसके रूप पर नहीं जाने दिया था. हमेशा पढाई और गुण पर ही जोर दिया. कभी ये नहीं जाहिर होने दिया की उन्हें भी पल्लवी रूपमती लगती है. नतीजन पल्लवी यही सोच कर बड़ी हुई की वोह एक साधारण पहाड़ी लड़की है. ना कभी ज्यादा कपड़ों के बारे में सोचा, न सजने संवारें के, सिर्फ पढाई और किताबें. उसके बाबूजी ने यही सिखाया की पढाई लिखाई से ही कोई लड़की अपने मन मुताबिक ज़िन्दगी जी सकती है सो पल्लवी तो जूनून सवार था की उसे कुछ करना है. पर जो भी उसे देखता एक बार को देखता ही रह जाता.
देखो जी, पल्लवी की माँ बोली, अब लवी बड़ी हो गयी है कॉलेज जाती है रूप का आभास तो हो ही गया है पर कोई गुरूर नहीं है. इतनी सादगी से रहती हैं सच में पल्लवी मेरी प्यारी और समझदार बेटी है. लेकिन लोगों का क्या करें? कल ही सेब के बगान वाले जोशी जी की बीबी कह रही थी आप हाँ करें तो पल्लवी को हम बेटी बना कर ले जाएँ. मैंने कह दिया अभी तो वो पढेगी, पर आये दिन रिश्ते आते हैं. आप नहीं समझोगे रूपमती लड़की होकर जीना कितना मुश्किल है. अब माँ को नहीं पता होता तो किसे पता होता ? पल्लवी उन पर ही तो गयी थी.
देखा जाए तो एक लड़की के लिए जीना हर हाल में मुश्किल ही होता है बस मुश्किल का सबब बदल जाता है. खूबसूरत हो तो कोई जीने नहीं देता और बदसूरत हो और बड़ी मुसीबत. आखिर इतनी सारी इज्ज़त और मान सम्मान का ठेका लेकर कोई चैन से कैसे जी सकता है.
इधर अपने कमरे में पल्लवी की नींद उडी हुई थी , क्या कहा होगा बाबूजी ने करन को ? कुछ ऐसी वैसी बात न हो गयी हो . इतनी रात गए तो वो पहले कभी लौटी ही नहीं थी फिर करन का साथ आना. दूसरी बिरादरी में शादी कैसे होगी ? कल करन से मिल कर ही पता चलेगा की क्या हुआ? मन ही मन पल्लवी बहुत डरी हुई थी कि सुबह पता नहीं बाबूजी क्या कहेंगे.
अगले दिन घर का माहोल सामान्य ही था. पल्लवी से किसी ने कुछ नहीं कहा , वो तैयार होकर कॉलेज चल पड़ी . आज कॉलेज के बाद करन ने मॉल रोड पर बुलाया था. किताब की दूकान पर कुछ मैथ्स की किताबें दिखाना चाहता था.
पल्लवी के दिल में गज़ब की हलचल मची हुई थी, हुआ क्या कल रात?
किसी तरह कॉलेज की छुट्टी हुई और पल्लवी लगभग दौड़ती हुई मॉल रोड पहुंची. ठण्ड का आगाज़ हो चूका था रानीखेत में . फिर भी पल्लवी के माथे पर पसीना चमक रहा था.
करन सामने ही दिख गया , उसने हाथ हिलाकर पल्लवी को इशारा किया.
क्या बात है मोहतरमा इस कदर हांफ क्यूँ रही हैं ? हमसे मिलने की इतनी बेताबी ?
अरे करन जल्दी बताओ कल रात को बाबूजी ने क्या कहा ? नाराज़ तो नहीं हुए ?
ओहो तो ये बात है जिसकी वजह से आप हमसे मिलने भागी चली आयीं लगता है आपके बाबूजी से मिलते रहना होगा! करण हंस पड़ा .
बताओ न करन, कुछ छुपा रहे हो क्या?
नहीं पल्लवी कुछ हुआ ही नहीं, बल्कि वो तो मुझे चाय के लिए भी पूछ रहे थे. तुम बेकार ही इतना सोचती हो. लो किताब की दूकान आ गयी.
करन ने पल्लवी को कुछ किताबे दिलवाई और कहा की ये बहुत जरुरी हैं पढना
सुनो करन कहीं बैठते हैं मुझे कुछ बात करनी है .
हाँ क्यूँ नहीं पल्लवी , करन ने भांप लिया था की पल्लवी बेहद परेशान है.
अच्छा बताओ कैफ़े चलें या पहाड़ी पर मंदिर के पास वहां बहादुर की चाय पियेंगे सकोरे में?
पहाड़ी पर ही चलो कारन.
पहुँचते ही पल्लवी बोली करन तुम्हे कुछ बताना है.
हाँ बोलो पल्लवी क्या हुआ?
हुआ कुछ नहीं करन पर मेरे परिवार में कुछ ऐसा हो चूका है जो तुम्हे जानना चाहिए. मुझे पहले ही बता देना चाहिए था पर इस बारे में हम किसी से कुछ कहते नहीं इसलिए मेरे मन में ये बात आई ही नहीं.
ऐसा क्या है पल्लवी ?
दरअसल मेरी बुआ की बेटी जो की मुझसे ६ साल बड़ी है उसकी ज़िन्दगी में कोई आया था जो की दूसरी बिरादरी का था .
ऐसा कब हुआ था?
५ साल पहले
फिर?
करन मेरे बाबूजी ४ बहनों के अकेले भाई हैं. जब बुआ जी की बेटी की बात पता चली तो मेरे बाबूजी ने बहुत ऐतराज़ किया वो इस शादी के सख्त खिलाफ थे.
दीदी भी जिद पर अडी थी की शादी करेगी तो उसी लड़के से वरना नहीं करेगी
बुआ ने भी बाबूजी को समझाने की कोशिश पर वो नहीं माने. यहाँ तक की जब शादी की बात आगे बढ़ी तो उन्होंने खाना पीना छोड़ दिया और कहा की वो अपनी बहिन का मुह कभी नहीं देखेंगे , बस बुआ ने भाई की ख़ुशी और रिश्ते को ज्यादा जरुरी समझा. दीदी की शादी कहीं और अपनी ही बिरादरी में कर दी गयी पर दीदी ज्यादा दिन निभा नहीं पायी और मायके लौट आई. सबने वापस भेजने के लिए बहुत जोर डाला तो उसने एक दिन आत्महत्या की कोशिश की , बस उसके बाद सब चुप हो गए. दीदी आज भी बुआ के घर ही रहती है. अब स्कूल में पढ़ने लगी है .
सच में पल्लवी ऐसा हुआ? तुम्हारे बाबूजी से मिल कर ऐसा नहीं लगा की वो ऐसा कर सकते हैं.
हाँ करन वो आज तक दीदी की स्थिति को लेकर खुद को दोषी मानते हैं. मैं उन्हें जानती हूँ , जब बहिन की बेटी के लिए वो इतने कट्टर हो गए थे तो अब अपनी बेटी के लिए एक पंजाबी लड़के की बात सोचना भी उनके लिए बहुत मुश्किल होगा . किस मुह से परिवार से नज़रें मिलायेंगे. सब तो यही कहेंगे की देखो इन्हें बड़ा गुरूर था की हमारी लड़की ऐसा नहीं करेगी अब क्या हुआ?
करन क्या होगा अब?
पल्लवी बात तो उलझी हुई है , पर अगर हम जल्दबाजी न करें तो मुझे यकीन है मैं तुम्हारे बाबूजी को मना लूँगा. रही बात परिवार की तो उनसे भी जा कर मिल लूँगा . तुम सिर्फ पढाई में ध्यान लगाओ. आँखों में आंसू भर कर बिलकुल भी अच्छी नहीं लगती हो.
कल सुबह मुझे वापस ड्यूटी पर जाना है इस तरह रोनी सूरत बनोगी तो कैसे जाऊंगा? इतना विश्वास तो करो मेरे ऊपर जब वक़्त आएगा मैं सब कुछ संभल लूँगा. सच्ची . अब तो मुस्कुरा दो
करन दिल बड़ा घबरा रहा है , एक तो इंतनी बातें चल रही हैं दिमाग में फिर तुम भी जा रहे हो . क्या करूँ कुछ समझ में नहीं आ रहा . हलकी सी हवा चल रही थी और ठण्ड बढ़ गयी थी . पल्लवी ने अपनी शाल को ख्हींच कर लपेट लिया.
दिल भी क्या अजूबा होता है , कुछ महीने पहले जिन्हें जानते तक नहीं थे वो आज जान भी से ज्यादा प्यारे हो गए. अब पल्लवी रानीखेत में पूरे २१ साल से रह रही थी और कभी किसी का आना जाना नहीं खला पर आज का माजरा तो अलग ही था . सारी सखी सहेलियों , परिवार परिजनों के होने के बावजूद आज पल्लवी को एक अजीब सा अकेलापन महसूस हो रहा था, वो भी महज़ करनके जाने के ख्याल से. इतना इश्क कब हो गया पता ही नहीं चला., वो भी उस पल्लवी को जो सोचती थी की उसे किसी लड़के में कोई दिलचस्पी हो ही नहीं सकती. अक्सर हम जिस बात के लिए सोचते हैं की ये तो हम कर ही नहीं सकते वही ज़िन्दगी करवा देती है. बहरहाल दिल सा दग्गाबाज़ कोई नहीं कमबख्त खुद का ही नहीं होता बस .
करन बड़े गौर से पल्लवी के चेहरे पर आते जाते भावों को देख रहा था , पल्लवी की ये परेशां सूरत उसे बेचैन कर रही थी. पहाड़ी से वादियों का नज़ारा कमाल का था पर करन को कुछ और नहीं दिख रहा था.
अच्छा सुनो पल्लवी तुम्हारे लिए कुछ शब्द याद आ रहे हैं इज़ाज़त हो तो सुना दूँ . क्यूँ जानेमन ?
न चाहते हुए भी पल्लवी के चेहरे पर एक हलकी की मुस्कराहट खेल गयी.
सुनाओ न करन
तो सुनो
‘फिरदौस झूम उठे
ये फिजा मुस्कुरा उठे
जो तुम मुस्कुरा दो
तो खुदा मुस्कुरा उठे ‘
अब तो मुस्कुरा दो यार !
पल्लवी हंस पड़ी क्या करन तुम सच में बेहद हो .
वो तो मैं हूँ वो इंसान ही क्या जिसकी हद कोई और तय करे !, तुम्हारी हंसी सुन कर जान में जान आई नहीं दिल बैठा जा रहा था.
अच्छा जी वैसे तो बड़े दिलेर फौजी बनते हो पर इतनी जल्दी दिल बैठ जाता है तुम्हारा ?
क्या करें तुमसे मुलाक़ात क्या हुई हम डरने लगे मोहतरमा.
पल्लवी ये लो , ये कुछ दोस्तों के नाम हैं , मेरे बेहद करीबी हैं . कभी तुम फ़ोन करो मेरे स्टेशन पर और मैं न मौजूद हूँ तो इनको सन्देश दे सकती हो . मुझ तक पहुँच जाएगा .
और तुम अपनी सारी परेशानी मुझे दे दो मैं सब संभल लूँगा ,यकीन करो तुम्हे कोई शिकायत नहीं होगी, तुम्हारी और तुम्हारे परिवार की इज्ज़त मेरी इज्ज़त है. वादा करो उदास नहीं होगी. अब चलना होगा पल्लवी कल सुबह बहुत जल्दी निकलना है.
ठीक है करन अपना ध्यान रखना .
दोनों मॉल रोड से हो कर केंट एरिया में पहुँच गए , पल्लवी का घर पास ही था और करन ने उसे उसकी कॉलोनी तक छोड़ दिया.
बाय करन, जल्दी आना ,कहकर पल्लवी अपने घर की ओर बढ़ गयी.
जाते जाते करन के ज़हन में पल्लवी के आंसू घुमते रहे. क्यूँ उससे से ये आंसू बर्दाश्त नहीं हो रहे थे ? बचपन से ही करन जिंदादिल और मजबूत था पर पल्लवी से मिलकर लगा की दिल उसका भी नाज़ुक ही है. उसने आसमान की तरफ देखकर भगवान् का शुक्रिया अदा किया जो उसे पल्लवी मिली.
दिन गुजरने लगे , करन के जाने ठीक 6 दिन बाद उसकी चिठ्ठी आ गयी. पल्लवी आजकल दिन में तीन तीन बार लैटर बॉक्स चेक करती थी , चिठ्ठी देखते ही पल्लवी का दिल दुगनी रफ़्तार से दौड़ने लगा. पढने की बेकरारी लेकर अपने कमरे की तरफ बढ़ी तो माँ ने आवाज़ दी सुन पल्लवी ज़रा सब्जी ले आ शाम को थपलियाल चाचा खाने पर आ रहे हैं.
माँ अभी थोड़ी देर में जाती हूँ….
नहीं लवी अभी जा नहीं तो देर हो जायेगी
अच्छा माँ जाती हूँ , पल्लवी निकल पड़ी
रास्ते में उससे रहा नहीं गया , पास वाले पार्क की बेंच पर बैठ कर उसने ख़त खोल लिया. एक खूबशूरत सी खुशबू में डूबा हुई चिठ्ठी निकली और कुछ छोटे छोटे पर्चे जिनमे लिखा हुआ था टेकिंग ऑफ (taking off और landed ) . ये क्या है ? खैर
प्यारी पल्लवी ,
कैसी हो ? पढाई कैसी चल रही है ? मेरी याद आई की नहीं ?
इस बार वापस आया तो दिल में एक कसक सी थी , तुम्हे परेशान देखना बिलकुल पसंद नहीं है मुझे. क्या कहूँ पल्लवी जब तुम सामने होती हो बहुत सारी बातें कहने की हिम्मत ही नहीं होती है , पर आज तो कहूँगा.
मुझे लगता है मेरी ज़िन्दगी का मकसद सिर्फ तुम हो , उस दिन तुम आँखों में आंसू लिए अपनी बात कह रही थी तो मुझे ऐसा लग रहा था की कैसे मैं तुम्हे खुश कर दूँ , तुम्हे खुश देख कर कैसा महसूस होता है मैं बता नहीं सकता. तुम कुछ बनो और ऊँचाइयों तक पहुँचो तो मुझे बेहद ख़ुशी होगी. आँखें बंद करता हूँ तो तुम नज़र आती हो एक बड़े से ऑफिस में एक शानदार सी कुर्सी पर बैठी हुई. हमारे रिश्ते के लिए अपने सपनो को कभी छोटा मत करना पल्लवी , ऐसी ज़रुरत कभी नहीं पड़ेगी. हमारा रिश्ता तब ही सार्थक है जब तुम्हारे सपनो के साथ साकार हो. इसलिए पढाई में कमी मत लाना.
मैंने कभी किस्मत पर ज्यादा यकीन नहीं किया मुझे लगता है की इंसान अपनी मेहनत और लगन से कहीं भी पहुँच सकता है. जो कुछ ज़िन्दगी में हासिल करा है वो अपने बल पे किया है , किसी तरह का सहारा नहीं लिया. पर अब कुछ बदल गया है , अब जब मैं अपने फाइटर प्लेन में चढ़ता हूँ तो उड़ने से पहले चाहता हूँ की तुम्हे बता कर take off करूँ और land होते ही तुम्हे बताऊँ. तुम्हे बता देता हूँ तो लगता है की flight बहुत अच्छी होगी. इसीलिए तुम्हे लिख देता हूँ. लिख कर लगता है तुम्हारी इजाज़त और शुबकामनाएं मिल गयी . मेरी भाग्यशाली पल्लवी. सारे सन्देश जो लिखे हैं तुम्हे भेज रहा हूँ पर्चे पढ़ कर हसना मत .
सच पल्लवी ज़िन्दगी में पहली बार लगता है जैसे की मैं अधूरा हूँ ,तुम्हारे बिना अधूरा हूँ , सोता हूँ तो तुम्हारा ख्याल , जागते ही फिर तुम्हारा ख्याल.
सारे दोस्त छेड़ते रहते हैं की तू तो गया काम से और सच ही कह रहे हैं. पर मेरा ध्यान मेरे काम से नहीं हटा है.
अपने काम पर और ज्यादा ध्यान दे रहा हूँ क्यूंकि मैं चाहता हूँ तुम्हे मेरे ऊपर गर्व हो , हमेशा . एक बार कहीं पढ़ा था की प्रेम का मतलब होता है की आपका साथी आपको हर बार और बेहतर होनी की प्रेरणा दे , तुम्हारे साथ मुझे यही लगता है , कभी कभी बड़ा डर लगता है की तुम्हे खो न दूँ. पल्लवी कोई भी नाराज़गी हो तो तुरंत बताना अपने मन में मत रखना.
मेरी पल्लवी का सर मेरे वजह से हमेशा ऊपर रहे यही सपना है.
तुम्हे मुझ पे नाज़ है न पल्लवी?
जल्दी से लिखना ! फ़ोन नहीं कर पाया एक ट्रेनिंग चल रही थी.
बहुत सारे प्यार के साथ
करन
पल्लवी ने वो पर्चे देखे taking off और landed , कोई किसी से इतना प्यार कैसे कर सकता है? ऐसा देखा करनने उसमे? इतनी इज्ज़त, इतना विश्वास किस जन्म के अच्छे कर्म सामने आ रहे थे. पल्लवी का दिल भर आया , हाँ करन बहुत नाज़ है तुम पर. और मैं भी कुछ बन कर दिखाउंगी जैसा की तुम चाहते हो . चीड के पेड़ों की खुशबू ने पार्क का माहोल एक दम मदहोश बना दिया था, पल्लवी ने आँखें बंद करके एक गहरी सांस ली. ओह करन !
अरे पल्लवी यहाँ कैसे , पड़ोस वाली आंटी की आवाज़ सुन कर वो चौंक गयी, कुछ नहीं आंटी बाज़ार जा रही हूँ.
जल्दी से सब्जी लेकर घर आई और फिर ख़त को २० दफा पढ़ा. करन ! तुम जैसा कोई नहीं.
कल बाज़ार से फ़ोन करुँगी , बहुत मन कर रहा था करन से बात करने का.
जैसे तैसे सुबह हुई , पल्लवी कॉलेज के लिए थोडा जल्दी निकल गयी , रास्ते में फ़ोन कर लुंगी.
फ़ोन किया तो करन किसी मिशन पर था और उसके मित्र रवि से बात हुई.
रवि मैं पल्लवी
हाँ पल्लवी बोलो रवि गर्मजोशी से बोला
करन से कहना जब मौका मिले मेरे से बात जरुर करे.
हाँ पल्लवी कह दूंगा , वो कल लौटेगा तब फ़ोन कर लेगा.
ठीक है रवि , थैंक यू
जब भी फ़ोन बजता पल्लवी को लगता करन का होगा पर ३ दिन हो गए और फ़ोन नहीं आया.
पल्लवी का चिंता के मारे बुरा हाल हो गया.
उसने फिर फ़ोन किया , रवि ! क्या हुआ? करन को बताया तुमने ? ……
हाँ पल्लवी लेकिन
लेकिन क्या रवि जल्दी बोलो…………
आगे की कहानी अगले भाग में
Trending now
Like us Share us Tweet Us